
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मोहब्बत पारा में खुशी की लहर, छत्तीसगढ़ के सेक्स वर्कर्स को मिली बड़ी राहत
रायपुर: सेक्स वर्कर्स के साथ अपराधियों जैसा बर्ताव न करके उनके साथ सम्मान के साथ व्यवहार किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का देशभर के साथ छत्तीसगढ़ के सेक्स वर्कर ने भी खुशी जताई है। फैसले में पुलिस के व्यवहार को भी संवेदनशील होने पर जोर दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट का एतिहासिक फैसला
गरीबी और धोखा इन दो शब्दों के सेक्स वर्कर के लिए बहुत मायने हैं। इन दोनों शब्दों ने कई लड़कियों की जिंदगी तबाह कर दी और सेक्स वर्कर जैसे जिल्लत से भरे जीवन को जीने की मजबूरी में डाल दिया। एक बार इस दलदल में आने के बाद इच्छा हो या न हो लेकिन आपको ये धंधा अपनाना है और करना है। लाखों लड़कियों की इस मजबूरी को सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ समझा बल्कि एक ऐतिहासिक फैसला दिया है, इस धंधे को सम्मान से करने की आजादी।
सेक्स वर्कर्स ने जताई खुशी
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सेक्स वर्कर को लेकर कहा है कि सहमति से यौन संबंध बनाने वाली सेक्स वर्कर्स के ख़िलाफ़ न तो हस्तक्षेप करना चाहिए और न ही आपराधिक कार्रवाई करनी चाहिए। सेक्स वर्कर्स के साथ अपराधियों जैसा बर्ताव न करके उनके साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए। इस फैसले का व्यापक असर देशभर में हो रहा है। छत्तीसगढ़ के तिल्दा में मोहब्बत मोहल्ले में रहने वाली सेक्स वर्कर भी सुप्रीम अदालत के फैसले से खुश हैं। उनका कहना है कि फैसले से उन्हें राहत मिली है। पहले ग्राहकों के साथ-साथ उनको पुलिस भी परेशान करती थी, लेकिन अब इसे कानूनी मान्यता मिलने के बाद पुलिस परेशान नहीं कर सकती और वे लोग इज्जत के साथ अपनी रोजी-रोटी कमा सकेंगे। वहीं बाल आयोग की सदस्य आशा यादव का कहना है कि ये ठीक नहीं हुआ।
सवालों के घेरे में रहा पुलिस का रवैया
सेक्स वर्कर के धंधे में उतर चुकी लड़कियों के साथ पुलिस का रवैया हमेशा सवालों के घेरे में रहा है। पुलिस की मनमर्जी पर सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश ने लगाम जैसी लगा दी है। अदालत ने पुलिस को संवेदनशील होने की अपील करते हुए कहा कि ये देखा गया है कि सेक्स वर्कर्स के प्रति पुलिस का रवैया अक्सर क्रूर और हिंसक होता है। इसलिये पुलिस को सेंसिटिव होने के साथ साथ सेक्स वर्कर को सम्मान की नजर से देखने की जरूरत है। अदालत ने सेक्स वर्कर के कई अधिकारों को लेकर स्पष् आदेश दिए हैं। जैसे उनके बच्चों को सम्मान से जीने का अधिकार है, उनका आधार कार्ड भी बनना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर दिल्ली में सेक्स वर्कर ने भी खुशी जताई है।
सेक्स वर्कर्स के लिए अनुकूल परिस्थितियां
सेक्स वर्कर के अधिकारों को लेकर एक पैनल बना था, जिसने सुप्रीम कोर्ट को तीन सिफारिशें की थीं। तस्करी की रोकथाम…सेक्स के काम को छोड़ने की इच्छा रखने वाली सेक्स वर्कर्स का पुनर्वास और सेक्स वर्कर्स के लिए अनुकूल परिस्थितियां जो सम्मान के साथ इस पेशे में रहना चाहती हैं। सुप्रीम अदालत ने इन तीनों सिफारिशों पर सहमति जताई। विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि “सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने सेक्स वर्कर्स कम्युनिटी के बीच एक बहुत अच्छा संदेश भेजा है। अब सेक्स वर्कर्स के साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए ना कि अपराधियों या गैर नागरिकों की तरह उम्मीद है आने वाला वक्त सेक्स वर्कर की जिंदगी में अहम बदलावों के साथ होगा।